ह्र्दय के कक्ष (Chambers of the Heart)
ह्रदय का सम्पूर्ण दाया भाग अशुद्ध रक्त से संबंधित होता है और बाया भाग शुद्ध रक्त से संबंधित होता है ह्रदय में चार चैम्बर होते है बायीं और का ऊपर का कक्ष बाया अलिन्द और निचे का कक्ष बाया निलय कहलाता है दायी और का ऊपरी कक्ष दाया अलिन्द और निचला कक्ष दाया निलय कहलाता है
दाया अलिन्द - दाये अलिंद में शरीर से भ्र्मण कर लोटा अशुद्ध रक्त जमा होता है जिसमे ऑक्सीजन नहीं होती है हमारे शरीर में दो प्रकार की शिराएँ होती है उध्व महा-शिरा व निम्न महा-शिरा
उध्व महा-शिरा शरीर के ऊपरी हिस्सों से अशुद्ध रक्त को व निम्न महा-शिरा शरीर के निचले हिस्से से अशुद्ध रक्त को दाये अलिन्द में पहुँचाती है इस कक्ष की दीवारे कमजोर होती है इसका कार्य केवल रक्त को हल्का पम्प करके ट्रीकस्पिड (TRICUSPID ) वाल्व के द्वारा दाये निलय तक भेजना होता है इस वाल्व के द्वारा रक्त वापस निलय से अलिन्द तक नहीं आ पाता है
दाया निलय - दाये अलिन्द से अशुद्ध रक्त रक्त दाये निलय में ट्रीकस्पिड वाल्व के द्वारा आता है कुछ छण के पश्चात दाये निलय में भी संकुचन होने लगता है जिससे रक्त को बाहर निकलने के लिये ध्क्का लगता है इसमें फुसफुसीय छिद्र होते है जिससे फुसफुसीय धमनी निकलती है ये धमनी ह्रदय से निकलकर अशुद्ध रक्त को फेफड़ो में शुद्ध करने के लिये ले जाती है और शुद्ध रक्त को मिट्रल वाल्व के द्वारा बाये अलिन्द में पहुंचा देती है
बाया अलिन्द - ये दाये अलिंद से कुछ मोटा होता है इसमें चार छिद्र होते है जो दो बायीं और दो दायी फुसफुसीय शिरा से आती है इसमें ऑक्सीजन युक्त शुद्ध रक्त आता है इससे शुद्ध रक्त पल्मोनरी वाल्व के द्वारा बाये निलय में चला जाता है
बाया निलय - यह सबसे बड़ा कक्ष होता है जिसमे एक महाधमनी निकलती है जो शरीर के विभिन भागो में रक्त को पहुंचाता है बाये अलिन्द के संकुचन होने पर रक्त बाये निलय में जाता है बाये निलय के संकुचन होने पर शुद्ध रक्त महाधमनी द्वार खुल जाते है जो ह्रदय से शुद्ध रक्त को अन्य धमनियों के द्वारा शरीर के सभी ऊतकों , कोशिकाओं तक पहुँचाता है
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